Monday, March 19, 2012

DURGA AARTI



wallpaper ambe maa navdurga




जय  अम्बे   गौरी  मैया , जय  श्यामा  गौरी

तुमको निशदिन   ध्यावत , हरी  ब्रह्मा  शिवजी ,

जय  अम्बे ....


मांग  सिंदूर  बिराजत , टीको   मृगमद  को,

उज्ज्वलसे  दोउ  नैना, चन्द्रवदन  निको ,

जय  अम्बे   ....


कनक समान  कलेवर, रक्ताम्बर  राजे,

रक्तपुष्प  गलमाला , कंठन पर   साजे ,

जय अम्बे ....


केहरी  वाहन  राजत , खडग  खप्पर  धारी

सुर  नर  मुनिजन  सेवत , तिनके  दुखहारी ,

जय अम्बे ....


कानन  कुण्डलं  शोभित , नासाग्रे  मोती

कोटिक  चन्द्र  दिवाकर , सम्राजत ज्योति ,

जय अम्बे ....


शुम्भ - निशुम्भ  विदारे , महिषासुर  धाती

धूम्र -विलोचन  नैना, निशदिन  मदमाती

जय अम्बे ....


चंड -मुंड  संघारे, शोडित   बीज  हरे

मधु  कैटभ  दोउ  मारे , सुर  भयहीन  करे

जय अम्बे ....


ब्रह्मणि , रूद्राणी  तुम  कमला  रानी   ,

आगम -निगम  बखानी , तुम  शिव  पटरानी ,

जय अम्बे ....


चौंसठ  योगिनी  गावत , नृत्य  करत  भैरों ,

बाजत  ताल  मृदंगा , और  बाजत  डमरू ,

जय अम्बे ....


तुम  हो  जग  की  माता , तुम  ही  हो  भरता ,

भक्तन  की  दुःख  हरता , सुख  सम्पति  करता ,

जय अम्बे ....


भुजा  चार  अति  शोभित , वर  मुद्रा  धारी ,

मनवांछित  फल  पावत , सेवत  नर  नारी ,

जय अम्बे ....


कंचन  थाल  विराजत  , अगरु  कपूर  बाती

श्रीमालकेतु  में  राजत , कोतिरतन  ज्योति ,


जय अम्बे ....


श्री  अम्बे  जी  की  आरती , जो  कोई  नर  गावे ,

कहत  शिवानन्द स्वामी , सुख  सम्पति  पावे


जय अम्बे ....
>

Thursday, March 8, 2012

SUKH PRAPTI MANTRA


Sukh prapti mantra१) ॐ गण गणपतये नमः |
ऋद्धिं सिद्धिं समृद्धिं देहि मे ||                       


उक्त मन्त्र का जाप उठने के तुरन्त बाद २१ बार 
और सोने के पहले ३ बार उच्चारन करे जल्द हि सुख कि प्राप्ति होगी

 


२) पितर दोष को दूर करने के लिये गीता के १५ अध्याय का पाठः रोज स्नान कर करना चाहिये 

pita dosh nivaran read bhagwad gita

श्री लक्ष्मी सूक्तं (Laxmi Strotam / Stuti of Goddess Laxmi )




इन सुक्तो को पडने से धन कि प्राप्ति होती है | रोज स्नान कर इन सुक्तो का जप करे|

श्री लक्ष्मी सूक्तं




हिरनवर्णां  हरिनिम सुवर्नर्जस्त्रजम्
चन्द्रां हिरन्य्मयिं लक्ष्मिम् जातवेदो मःआवः        || १ ||

तां मःआवः जातवेदो लक्ष्मिमनपगामिनीम्
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं  पुरूशान्हम्           || २ ||
अश्वपूर्वान   रथमध्यां   हस्तिनादप्रमोदिनीम
श्रियं  देविमुपः  वये   श्रीर्मादेवि    जुषतां            ||  3  ||

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां
ज्वलन्ती     त्र्रप्तां        तर्पयन्तीं
पद्मे सिथां पद्वर्णां तामिहोपह्वये श्रियं         || ४ ||

चन्द्रा   प्रभासां   यशसा    ज्वलन्तीं
श्रियं    लोके      देवजुष्र्तामुदारां
तां       पद्मिनीं      शरणं        प्रपद्ये
अलक्ष्मीर्मे   नश्यतां  त्वां    व्रणे                      || ५ ||

आतियवर्णे        तपसोअधिजातो
वनस्प  तिस्तव     वृक्षोअथ     बिल्वः
तस्य   फलानि    तपसा    नुदन्तु
मायान्तरायाश्च      बाह्या       अलक्ष्मीः               || ६ ||

उपैतु मां  देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह
प्रादुर्भूतोअस्मि राष्ट्रेअस्मिन किर्तिम्रध्ह्दि ददातु मे || ७ ||

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्याहं
अभूतिमसमरिध्दिश्च  सर्वान्निर्गुद मे गृहात् || ८ ||

गन्धद्वारां   दुराधर्षां   नित्यपुष्टां  करीषिणीं
ईश्वरी सर्वभूता नां  तामिहोपह्वये  श्रियं        || ९ ||

मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि
पशूनांरूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः     || १० ||


कर्दमेन   प्रजाभूता  मयि  संभव  कर्दम
श्रियं   वासय  मे  कुले  मातरं   पद्मालिनीं      || ११ ||


आपः सृजन्तु सिनग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे
निच  देवी   मातरं   श्रियं  वासय   मे    कुले  || १२ ||

आर्द्रां पुष्करिणीं पृष्टिं पिन्गलां पद्मालिनीं 
चन्द्रा हिरन्मयिं लक्ष्मी जातवेदो मSआवः   || १३ ||

आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्
सूर्यां हिरण्यमयीं लक्ष्मी जातवेदो मSआवः || १४ ||

तां मSआवः जातवेदो लक्ष्मिमनपगामिनिं
यास्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योSश्वान्विन्देयं पुरुषानाहं || १५ ||

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वाहं
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत्  || १६ ||








|| श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || 
|| श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || 
|| श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें || श्री लक्ष्मी जी सदा सहाय करें ||