श्रावण मास २०१७ की विशेषता
जाने आखिर क्यों है २०१७ का श्रावण का महीना खास
इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में 50 साल के बाद विशेष संयोग बन रहा है। खास यह कि सोमवार से इस माह की शुरुआत हो रही और समापन भी सोमवार को ही होगा। यह काफी शुभ फलदायक है। 10 जुलाई से सावन की शुरुआत होगी और 7 अगस्त को रक्षाबंधन यानी श्रावण पूर्णिमा है।
काफी सालों बाद इस बार सावन मास में पांच सोमवार है। खास बात यह कि वैधृति योग के साथ सावन प्रारंभ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति। सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवार के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं।इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। बाबा भोले की पूजा से भाग्य पलट सकता है। सावन में सोमवार का विशेष महत्व है।
अमूमन सावन में चार सोमवार होते है, लेकिन इस बार पांच सोमवार है। सभी सोमवार की पूजा के लिए मंत्र अलग-अलग हैं।
नियमपूर्वक पूजा करने से भोलेनाथ की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है
( १ ) पहले सोमवार को महामायाधारी की पूजा -
सावन के पहले सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ‘ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।
( २ ) द्वितीय सोमवार को करें महाकालेश्वर की पूजा-
दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को ‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 माला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।
( ३ ) तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर की पूजा-
सावन के तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है। इनके विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
( ४ ) चौथे सोमवार को तंत्रेश्वर शिव की आराधना-
चौथे सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का 11 माला जाप शिवभक्तों को करना चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
( ५) पांचवें सोमवार को शिव स्वरूप भोले की पूजा -
पांचवें सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है। वैसे जो सावन में किसी कारण कोई सोमवार व्रत, पूजन नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवें सोमवार को व्रत, पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
श्रावण सोमवार पूजन विधि -
गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञोपवीत, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।10 जुलाई : प्रथम सोमवार
17 जुलाई : द्वितीय सोमवार
24 जुलाई : तृतीय सोमवार
31 जुलाई : चतुर्थ सोमवार
07 अगस्त: पंचम सोमवार
।। ऊँ नमः शिवाय ।। ।। ऊँ नमः शिवाय ।। ।। ऊँ नमः शिवाय ।। ।। ऊँ नमः शिवाय ।।
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